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Cold storage

किसान रेल योजना (Kisan Rail info in Hindi)

किसान रेल योजना (Kisan Rail info in Hindi)

भारत सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादों, खासतौर से जल्दी खराब होने वाली उपज को सस्ते दरों पर, दूसरे राज्यों तक पहुँचाने के लिए परिवहन सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किसान रेल योजना (Kisan Rail) चलाई है. किसान रेल की घोषणा वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष २०२०-२१ के केंद्रीय बजट में की थी. वित्त मंत्री ने नेशनल कोल्ड सप्लाई चेन (National Cold Supply Chain) बनाने की घोषणा की थी और कहा था कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) एक किसान रेल की शुरुआत करेगा. इस एकीकृत शीत-श्रृंखला को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट (National Center for Cold-Chain Development (NCCD)) की स्थापना की गई।

हालांकि एयरकंडिशन की सुविधा के साथ फल और सब्जियों को लाने ले जाने की सुविधा का प्रस्ताव पहली बार २००९-१० के बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने किया था, लेकिन तब शुरुआत नहीं हो सकी थी. ७अगस्त २०२० को पहली बार भारतीय रेलवे ने किसान रेल सेवा शुरू की. पहली किसान रेल महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के बीच चलाई गई थी. इस ट्रेन से जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे दूध, मांस, मछली, फल और सब्जियों को नासिक रोड, मनमाड, जलगांव, भुसावल, बुरहानपुर, खंडवा, इटारसी, जबलपुर, सतना, कटनी, मानिकपुर, प्रयागराज, पंडित दीन दायल उपाध्याय नगर, बक्सर और दानापुर तक पहुंचाया गया था.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा इस ट्रेन को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केंद्रीय रेल व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल नें हरी झंडी दिखाई थी. किसान रेल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर संचालित किया जा रहा है. किसान रेल के जरिए सामान ढुलाई में करीब ५० फीसदी तक की सब्सिडी भी दी जाती है.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने १००वीं किसान रेल को हरी झंडी दीखाई थी. उस मौके पर उन्होंने कहा था कि “किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है. इससे देश के 80 फीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को बड़ी शक्ति मिली है. कोल्ड स्टोरेज चेन के लिए भी यह मजबूती देने वाला कदम साबित होगा. किसी किसान के लिए कोई सीमा तय नहीं है. उत्पाद कम हो या ज्यादा, सब सही समय पर पहुंच सकेगा. महज ३ किलो अनार का पैकेट भी ट्रेन से भेजे गए. मुर्गी के १७ दर्जन अंडे भी इससे भेजे गए हैं. किसान रेल के जरिए छोटे किसानों को भी बड़ा बाजार दिया जा रहा है. पहले किसान रेल साप्ताहिक थी, लेकिन अब इस ट्रेन को सप्ताह में ३ दिन चलाया जा रहा है. बेहद कम समय में १००वीं किसान रेल चलना ये साफ करता है कि इससे किसानों को फायदा हो रहा है.’’

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अब तक १४०० से भी ज्यादा किसान रेलगाड़ियाँ चलाई जा चुकी हैं. ३ फ़रवरी '२०२२ को १०००वीं किसान रेल महाराष्ट्र के सादवा से दिल्ली के आदर्शनगर तक चलाई गयी थी, जिसके १८ पार्सल वैन सहित २३ डब्बे थे और इस रेलगाड़ी से ४५३ टन केला गंतव्य तक पहुँचाया गया था. अब तक १४ से ज्यादा राज्यों में किसान रेल चलाई जा रही है. किसानों को किसान रेल योजना से बहुत लाभ है.

  kisan rail 1000th trip flag off ceremony


मिलती हैं किसान रेल के भाड़े में सब्सिडी

खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्रालय की तरफ से किसान रेल से फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन के माल भाड़ा पर वसूले जाने वाले टैरिफ पर ५०% की सब्सिडी दी जाती है. किसानों को यह सब्सिडी राशि तुरंत मिल जाती है, जिससे फसल के यातायात का खर्च आधा हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन लागत ७-८ रुपये प्रति किलोग्राम है, तो किसान ट्रेन के जरिए यह लागत २.८२ रुपये ही बैठती है. सड़क मार्ग की अपेक्षा इसका भाड़ा बहुत ही कम है, जिससे किसानों को अपना उत्पाद दुसरे जगह पर सुगमता से पहुँचाने का अवसर मिल रहा है.

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किसान रेल में कोल्ड-स्टोरेज की है सुविधा

कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) की सुविधा से संपन्न होती है किसान रेल, जिसके कारण जल्दी ख़राब होने वाले कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जियां, मछलियां और एसे दुसरे उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहती है, वे ख़राब नहीं होते. सही समय पर मंडियों में पहुँच जाती हैं और उचित मूल्य भी मिल जाता है. किसान ट्रेन का परिचालन बिल्कुल सही समय से किया जाता है.

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किसान रेल से इन फसलों की होती है धुलाई

सब्जियों में शिमला मिर्च, केला, आलू, टमाटर, मिर्च, अदरक, लहसुन, प्याज, फूलगोभी, कीवी, वहीं फलों में संतरा, सेब, खरबूजे, अमरूद, पपीता, अनार, अंगूर को भेज सकते हैं. इसके अतिरिक्त फूल, डेयरी उत्पाद, अंडे और मछलियां भी किसान रेल द्वारा दुसरे जगहों पर भेजे जा सकते हैं. देश के कई राज्यों से भारी संख्या में किसान इसका फायदा ले रहे हैं.

कोल्ड स्टोरेज योजना में सरकारी सहायता पच्चास प्रतिशत तक

कोल्ड स्टोरेज योजना में सरकारी सहायता पच्चास प्रतिशत तक

हर साल भण्डारण की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों के लाखों करोड़ों का कृषि उत्पाद नष्ट हो जाता है. किसानों को ही इसका खामियाजा उठाना पड़ता है और काफी आर्थिक क्षति होती है. विगत वर्ष देश के कई क्षेत्रों में किसानों को फल सब्जियां औने पौने दाम में बेचना पड़ा और कई जगहों पर प्याज, टमाटर सहित अन्य फल और सब्जियों को नाले और कूड़े पर फेंकते देखा गया था. इस बर्बादी को बचाने और किसानों के कृषि उत्पाद के सही ढंग से भण्डारण के लिए केंद्र सरकार एक योजना लाई है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके. इस योजना का नाम है एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture (MIDH)).

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कोल्ड स्टोरेज अनुदान

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) खोलने के लिए सरकार किसानों को 50 फीसदी अनुदान देती है. कृषि व किसान कल्याण विभाग, बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (एमआईडीएच) के माध्यम से कोल्ड स्टोरेज की स्थापना सहित विभिन्न बागवानी के कार्यों के लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता दी जाती है.

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कोल्ड स्टोरेज के लिए सब्सिडी

किसानों में यह भ्रम होता है की कोल्ड स्टोरेज के लिए सरकार लोन देती है. लेकिन यहाँ स्पष्ट करना जरूरी है की सरकार कोल्ड स्टोरेज के लिए कोइ लोन नहीं देती है. इसके लिए क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी (Credit Linked Back Ended Subsidy) दी जाती है. इस सब्सिडी में भी क्षेत्रवार अंतर होता है. मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए सब्सिडी में भिन्नता होती है. मैदानी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है. पूर्वोत्तर इलाकों में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा क्षमता वाली परियोजना को भी सब्सिडी का लाभ दिया जाता है.

कोल्ड स्टोरेज के लिए कितना मिलता है अनुदान ?

  • 15 लाख रुपए तक के कोल्ड रूम (स्टेंटिक) यूनिट के लागत पर 5.25 लाख रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप 1 यूनिट लागत 4 करोड़ रुपए पर 1.40 करोड़ रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप-1 (अनुसूचित क्षेत्र) लागत 4 करोड़ रुपए पर 2 करोड़ रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप-2 (वैकल्पिक प्रौद्योगिकी सामान्य क्षेत्र) लागत 35 लाख रुपए पर 12.25 लाख रुपए


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कोल्ड स्टोरेज के लिए पात्रता

  • किसान व्यक्ति,उपभोक्ताओं/उत्पादकों का समूह, किसान उत्पादक संगठन
  • स्वामित्व/ भगीदारी फर्म, गैर सरकारी संगठन, स्वयं सहायता समूह, कम्पनियाँ, निगम.
  • कृषि उत्पादन विपणन समितियां, विपणन बोर्ड/ समितियां, नगर निगम, समितियां, कृषि उद्योग निगम, सहकारी समितियां, सहकारी विपणन संघ एवं अन्य सम्बंधित अनुसंधान एवं विकास संगठन.

कोल्ड स्टोरेज के लिए कहाँ करें आवेदन ?

कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए आवेदन हेतु एकीकृत बागवानी विकास मिशन के जिला कार्यालय में पदस्थापित उप संचालक, सहायक संचालक उद्यान से बृहत् जानकारी ली जा सकती है. आवेदन प्रस्ताव जिला कार्यालय में जमा करना होगा. प्राप्त प्रस्ताव आवेदन को 'पहले आओ पहले पाओ ' के आधार पर स्वीकार किया जाता है. योजना में आवेदन के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट http://nhb.gov.in/OnlineApplication/RegistrationForm.aspx पर जाकर आवेदन किया जा सकता है.

कोल्ड स्टोरेज के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • स्व-सत्यापित पैन कार्ड/ वोटर कार्ड
  • स्व-सत्यापित आधार कार्ड
  • कम्पनी/ सोसाईटी/ ट्रस्ट/ पार्टनरशिप फर्म का पंजीकरण प्रमाण पत्र
  • एससी के लिए जाति प्रमाण पत्र और एसटी के लिए स्वप्रमाणित प्रमाण पत्र
  • व्यक्तिगत किसान के लिए परियोजना भूमि आवेदक किसान के नाम से होना आवश्यक होगा.
  • आवेदक परियोजना भूमि में संयुक्त मालिकों में से एक होगा, तो अनापत्ति प्रमाण पत्र
  • साझेदारी फर्म के लिए यदि भूमि की मल्कियत साझेदारों में से किसी एक की हो, तो भूमि मालिक साझेदार की ओर से शपथ पत्र देगा की परियोजना की जमीन वापस नहीं लेगा, बिक्री या हस्तानान्तरण नहीं करेगा.
  • भूमि पर कब्ज़ा प्रमाण पत्र
  • परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट
इस राज्य के किसान अब करेंगे औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

इस राज्य के किसान अब करेंगे औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

देश की अन्य राज्य सरकारों की तरह ही जम्मू-कश्मीर की सरकार भी अपने किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है। इसके तहत सरकार समय-समय पर राज्य के किसानों को सहायता उपलब्ध करवाती रहती है। इसी के साथ सरकार किसानों के लिए नई योजनाओं की घोषणा भी करती है ताकि किसान भाई अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। अब सरकार ने अपने प्रदेश के किसानों के हितों को देखते हुए एक मेगा प्लान तैयार किया है जिसमें किसानों को अब औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार का कहना है, कि जम्मू-कश्मीर के किसान सेब, केसर और बासमती चावल के अलावा औषधीय और सुगंधित पौधों की भी खेती करेंगे, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही प्रदेश की जीडीपी में भी बढ़ोत्तरी होगी। इस प्लान के तहत जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कहा है, कि प्रदेश में 625 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की जाएगी। इसके साथ ही सरकार का कहना है, कि औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के साथ ही प्रदेश के किसान दूसरी अन्य फसलों की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित होंगे। जम्मू-कश्मीर राज्य के अधिकारियों का कहना है, कि औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती से प्रदेश के किसान 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी सालाना प्राप्त कर सकते हैं।


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जम्मू-कश्मीर के कृषि उत्पादन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा है, कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल बहुत कम खेती की जा रही है। जबकी यहां पर खेती की अपार संभावनाएं हैं। अटल डुल्लू ने कहा कि हिमालय के पास औषधीय और सुगंधित गुण वाले लगभग 1,123 पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं। अगर किसान इस खेती पर मेहनत करें तो हर साल प्रदेश को करोड़ों रुपये का लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक हर्बल व्यापार लगभग 120 अरब डॉलर का है और भविष्य में इसमें तेजी देखने को मिल सकती है। आंकड़ों के अनुसार यह व्यापार साल 2050 तक 7,000 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर राज्य के पास इस व्यापार में अपनी जगह बनाने का अच्छा मौका है। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में औषधीय और सुगंधित पौधों का बहुत कम उत्पादन किया जा रहा है। औषधीय और सुगंधित गुण वाली खेती के मद्देनजर अटल डुल्लू ने बुधवार को तालाब तिल्लो में एक कोल्ड स्टोरेज के निर्माण का शुभारंभ किया है। इस कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 5200 मीट्रिक टन है। इसके निर्माण के लिए नाबार्ड ने ऋण उपलब्ध करवाया है, जिसे जे एंड के एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड विकसित कर रही है। यह कंपनी जम्मू-कश्मीर सरकार की एक प्रीमियम सरकारी कंपनी है। अपर मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा है, कि इस कोल्ड स्टोरेज का सबसे ज्यादा लाभ राजौरी, पुंछ, उधमपुर, जम्मू, कठुआ, सांबा और अन्य क्षेत्रों के किसानों को होने वाला है। यहां पर ये किसान अपने ताजे फल और सब्जियां, सूखे मेवे, डेयरी उत्पाद, फूल, मांस, मछली और अन्य उत्पादों का भंडारण बेहद आसानी से कर सकेंगे। अब किसानों को बिना भाव के सस्ते दामों पर अपनी फसल बेचने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा। जिससे अब किसानों को पहले के मुकाबले ज्यादा फायदा होगा और किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो सकेगी।
बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य में कोल्ड स्टोरेज यूनिट की स्थापना हेतु किसानों को अनुदान देने का निर्णय किया गया है। बिहार राज्य में पारंपरिक खेती समेत बागवानी फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। बिहार राज्य के किसान सेब, अंगूर, केला, अनार, आम और अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इससे कृषकों की आय में काफी बढ़ोत्तरी भी हुई है। परंतु, कोल्ड स्टोरेज के अभाव की वजह से किसान उतना ज्यादा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा इस परेशानी को दूर करने के लिए किसानों के फायदे हेतु बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में बागवानी फसलों की खेती में अत्यधिक गति आएगी। साथ ही, कृषकों की आमदनी में भी इजाफा हो सकता है।

कोल्ड स्टोरेज से किसानों को काफी फायदा होगा

बिहार सरकार ऐसा मानती है, कि कोल्ड स्टोरेज होने से किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। बाजार में कम भाव होने पर वह अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर कर सकते हैं। जैसे ही भाव में वृद्धि आएगी, वह इसको बाजार में बेच सकते हैं। इससे अच्छा भाव मिलने से किसानों की आमदनी निश्चित रूप से बढ़ेगी। वैसे भी कोल्ड स्टोर के भीतर बहुत दिनों तक खाद्य पदार्थ बेकार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाई हरी सब्जियों एवं फल की तुड़ाई करने के उपरांत कोल्ड स्टोरेज में रखेंगे तो फसलों का खराब होना भी कम हो पाएगा। साथ ही, काफी समय तक वह खराब नहीं होंगे।

बिहार सरकार किसानों को 4000 रुपये अनुदान स्वरूप प्रदान करेगी

बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के चलते कोल्ड स्टोरेज यूनिट (टाइप-1) की स्थापना करने के लिए 8000 रुपये की लागत धनराशि तय की गई है। बिहार सरकार की तरफ से इसके लिए किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में कृषकों को 4000 रुपये मुफ्त में प्राप्त होंगे। जो किसान भाई इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

आम उत्पादन के मामले में बिहार कौन-से स्थान पर है

जानकारी के लिए बतादें, कि बिहार में बागवानी की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। आम के उत्पादन के मामले में बिहार पूरे भारत में चौथे स्थान पर आता है। तो उधर लीची की पैदावार के मामले में बिहार का प्रथम स्थान पर है। मुज्फ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में मशहूर है। बतादें, कि इसके स्वाद की कोई टक्कर नहीं है। इसके उपयोग से जूस एवं महंगी- महंगी शराबें तैयार की जाती हैं।
भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

उत्पादन करने के बाद फसलों का भंडारण करना एक बहुत बड़ी समस्या है। यह समस्या उन फसलों के लिए कुछ ज्यादा ही बड़ी है जो बागवानी फसलों के अंतर्गत आती हैं। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान देखा गया कि फसलों का बंपर उत्पादन होने के बावजूद ज्यादतर फसलें उचित भंडारण न होने के कारण खेतों में ही पड़े पड़े खराब हो गईं, जिसके कारण किसानों को भारी घाटा झेलना पड़ा। क्योंकि उन दिनों सभी प्रकार के मार्केट बंद होने के साथ ही मंडियां भी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रही थीं, जिसके कारण किसान अपनी फसलों को मंडियों तक नहीं पहुंचा पाए और फसलें सड़ गईं। इसके अलावा किसानों के साथ एक बड़ी समस्या ये है कि कई फसलें ऐसी होती हैं, जो कटाई के बाद थोड़ी भी बरसात नहीं झेल पातीं और पानी पड़ते ही उनमें सड़न उत्पन्न होने लगती है। ये किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस प्रकार की समस्या को देखते हुए अब सरकार किसानों की सहायता के लिए आगे आई है। सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही है जिससे किसान अपनी फसलों का भंडारण उचित मात्रा में कर पाएं और जब उन्हें अच्छा भाव मिले तब वो अपनी फसलों को मंडियों में बेच पाएं।

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इसी कड़ी में बिहार सरकार ने किसानों की सहायता करने के लिए प्री कूलिंग यूनिट (Pre Cooling Unit) यानी कोल्ड स्टोरेज (cold storage) लगाने के लिए सहायता प्रदान कर रही है। इसके तहत बिहार सरकार किसानों तथा किसान उत्पादक संगठनों को 18 लाख 75 हजार रूपये तक का अनुदान उपलब्ध करवा रही है, जिससे किसान तथा किसान उत्पादक संगठन एक अच्छे प्री कूलिंग यूनिट का निर्माण कर पाएं, जिसमें वो अपनी फसलों का भंडारण सुरक्षित तरीके से कर सकें। कोल्ड स्टोरेज सब्सिडी योजना के सरकारी निर्देश को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कितनी मिलेगी प्री कूलिंग यूनिट लगाने पर सब्सिडी ?

बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय (Bihar Agriculture Department , Horticulture Directorate) ने ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी है कि, एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत राज्य के किसानों, व्यक्तिगत निवेशकों और किसान उत्पादक संगठनों को जो प्री-कूलिंग यूनिट लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है, उसमें प्रति इकाई अधिकतम लागत 25 लाख रूपये निर्धारित की गई है।  

• यदि किसान और व्यक्तिगत निवेशक इस इकाई को लगाते हैं, तो सरकार अधिकतम लागत 25 लाख रूपये का 50 प्रतिशत, यानी 12 लाख 50,000 रुपये का अनुदान देगी।

• वहीं यदि किसान उत्पादन संगठन (FPO/FPC) प्री कूलिंग कोल्ड स्टोरेज इकाई लगाना चाहता है, तो सरकार उस संगठन को अधिकतम लागत 25 लाख रूपये का 75 प्रतिशत, यानी 18 लाख 75,000 रुपये का अनुदान प्रदान करेगी।

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 बिहार राज्य के जो भी किसान तथा किसान उत्पादक संगठन एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture (MIDH)) के तहत यह प्री कूलिंग स्टोरेज इकाई लगाना चाहते हैं, वो बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर नियम और कायदे देख सकते हैं और ऑनलाइन माध्यम से अपना आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा जो किसान या किसान उत्पादक संगठन ऑनलाइन आवेदन करने में असमर्थ हैं वो अपने जिले के उद्यान विभाग के सहायक निदेशक से भी संपर्क कर सकते हैं और ऑफलाइन माध्यम से अपना आवेदन और दस्तावेज जमा करवा सकते हैं। आवेदन करते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर, फोटो और किसान होने का कोई प्रमाण अपने साथ रखें। ये दस्तावेज आवेदन करते वक़्त साथ में संलग्न करने होंगे।